2 नवंबर की सुबह नागपुरवासियों के लिए कुछ अलग रही। जब लोग ठंड की हल्की शुरुआत और साफ आसमान की उम्मीद कर रहे थे, तभी अचानक काले बादल उमड़ पड़े और शहर पर रिमझिम बारिश होने लगी। यह बारिश न तो मौसम विभाग के सामान्य पूर्वानुमान में थी, न ही स्थानीय नागरिकों के अनुमान में। नवंबर में होने वाली यह अनपेक्षित बारिश अब नागपुर और विदर्भ क्षेत्र में बदलते जलवायु पैटर्न की ओर इशारा कर रही है।
☁️ मौसम में यह बदलाव क्यों आया?
मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, उत्तर भारत से गुजर रहे एक वेस्टर्न डिस्टर्बेंस (Western Disturbance) और बंगाल की खाड़ी से उठी नमी के कारण यह असामान्य वर्षा हुई है।
नागपुर का सामान्य नवंबर महीना शुष्क और ठंडा होता है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में अचानक और अनियमित वर्षा के मामले बढ़े हैं।
यह घटना बताती है कि विदर्भ का मौसम भी अब जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से अछूता नहीं रहा।
🌧️ शहर में बारिश का तात्कालिक असर
🛣️ 1. सड़कों पर जलभराव और ट्रैफिक जाम
बारिश शुरू होते ही शहर की कई सड़कों पर पानी भर गया — खासतौर पर धरमपेठ, सिटाबर्डी, बर्डी और मानेवाड़ा जैसे इलाकों में।
सड़कें फिसलन भरी होने के कारण दोपहिया वाहन चालकों को परेशानी हुई। कई जगहों पर छोटे हादसे भी देखने को मिले।
नागपुर महानगरपालिका के पास जल निकासी की पर्याप्त व्यवस्था न होने के कारण हल्की बारिश भी ट्रैफिक बाधित कर देती है।
⚡ 2. बिजली कटौती और तकनीकी दिक्कतें
बारिश के साथ कोराडी, हिंगना और नांदनवन जैसे क्षेत्रों में बिजली गुल हो गई। नमी और हवाओं के कारण ट्रांसफॉर्मर में फॉल्ट आना आम है।
इसके चलते घरों और दुकानों में कामकाज बाधित रहा।
🌾 किसानों पर सबसे बड़ा असर
विदर्भ क्षेत्र के किसान इस समय खरीफ फसल की कटाई या भंडारण में लगे हुए हैं।
लेकिन बारिश ने उनकी मेहनत पर पानी फेर दिया।
🔸 1. कपास और सोयाबीन को नुकसान
बारिश से खेतों में बची हुई कपास गीली हो गई, जिससे गुणवत्ता पर असर पड़ सकता है।
सोयाबीन या अनाज के भंडारण में नमी बढ़ने से फसल सड़ सकती है।
🔸 2. रबी सीजन की तैयारी में देरी
जो किसान अब गेहूं या चना बोने की तैयारी कर रहे थे, उन्हें इंतजार करना पड़ेगा।
मिट्टी में अत्यधिक नमी के कारण खेतों में बुआई संभव नहीं है।
🧑⚕️ स्वास्थ्य पर असर
अचानक तापमान में गिरावट और नमी बढ़ने से सर्दी-जुकाम, खांसी, बुखार जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ गया है।
बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह मौसम विशेष रूप से कठिन हो सकता है।
डॉक्टर सलाह दे रहे हैं कि लोग ठंड और नमी से बचाव करें, और भीगने के बाद तुरंत कपड़े बदलें।
🌍 जलवायु परिवर्तन का स्पष्ट संकेत
मौसम विभाग के आंकड़े बताते हैं कि पिछले 5 वर्षों में नागपुर में नवंबर-दिसंबर के बीच औसतन 3–5 बार बारिश दर्ज की गई है।
यह सामान्य से काफी अधिक है।
इससे संकेत मिलता है कि जलवायु परिवर्तन (Climate Change) अब स्थानीय स्तर पर भी असर दिखा रहा है —
चाहे वह तापमान की असमानता हो, नमी का बढ़ना हो या बारिश के पैटर्न का बदलना।
